मिथिला स्टूडेंट यूनियन के महत्वपूर्ण कार्य :-
1. दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई सेवा :- मिथिला स्टूडेंट यूनियन के द्वारा 2015 से निरंतर संघर्ष, चरणबद्ध जमीनी आंदोलन, मुकदमा झेलने, सरकार एवं सत्ता पर लगातार दवाब बनाने, सोशल मीडिया पर मुहिम बनाने समेत अन्य अनगिनत प्रयासों के बाद 8 नवम्बर 2020 से दरभंगा एयरपोर्ट से हवाई यात्रा शुरू हुआ और करोड़ों मिथिलावासी का दरभंगा से उड़ान का सपना पूरा हुआ।
2. हर आपदा-विपदा में मिथिला का एकमात्र आस – एम.एस.यू :- सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र में किसी भी आपदा की स्थिति में जनसेवा ही मिथिला स्टूडेंट यूनियन का सबसे प्रमुख पहचान है। प्रतिवर्ष त्योहार की तरह आनेवाली बाढ़ हो या फिर चमकी बुखार या कोरोना काल, असहाय हो चुकी जनता के लिए मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने हमेशा तत्पर रहकर आम जनता के ही सहयोग से पीड़ितों का हर संभव मदद किया। वर्ष 2017 – 2019 – 2020 में जब मिथिला क्षेत्र के अनेक जिलों पर जब बाढ़ का आघात हुआ तो संगठन के सैकड़ों सेनानी ने अपने जान की बाजी लगाकर बाढ़ पीड़ितों की सेवा किया। भूखों को खाना खिलाया, राहत सामग्री बाँटा, मेडिकल सेवाएं उपलब्ध करवाया। ठीक उसी प्रकार वर्ष 2019 में जब मुज़्ज़फरपुर जिला में चमकी बुखार आया और सैकडों बच्चों का मौत हुआ तो मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने अपना पूरा ऊर्जा झोंककर मोर्चा सम्भाला। एस.के.एन.एम.सी.एच में व्यवस्था संभालने हेतु वोलेंटियर किया, दवाएं उपलब्ध करवाया, गाँव-गाँव जाकर लोगों को जागरूक किया।
वर्ष 2020 से अबतक कोरोना महामारी के मध्य मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने सीमित संसाधनों के बावजूद गाँव-गाँव मास्क वितरण, सेनेटाइजर वितरण, बीमारी से बचाव के विभिन्न सावधानी हेतु जनजागरण अभियान चलाया।
3. एल एन.एम.यू. में शैक्षणिक सत्र नियमित – मिथिला स्टूडेंट यूनियन के लगातार संघर्ष और 15 नवंबर 2017 को 5 हजार छात्रों के साथ LNMU में किए गए आंदोलन के फलस्वरूप जो ग्रैजुएशन की डिग्री साढ़े तीन साल- 4 साल में मिलता था वो अब 3 साल में ही मिलता है। 2 साल के पीजी का डिग्री 2 साल में ही मिलता है। परीक्षाएं और परिणाम घोषणा ससमय हो रही हैं। लगभग सभी सेशन नियमित हो चुके हैं।
4. एल एन.एम.यू. के दीक्षांत समारोह में मिथिला का परिधान पाग – ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय में दीक्षांत समारोह के दौरान वर्षों से मिथिला के सम्मान का प्रतीक पाग को नजरअंदाज कर राजस्थानी मालवीय टोपी एवं साफा का उपयोग किया जा रहा था। मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने इसके विरुद्ध कड़ा प्रतिकार किया एवं 3 साल के लगातार संघर्ष, धरना, अनशन, आंदोलन, लाठी खाने के बाद अंततः शासन की प्रशासन को झुकना पड़ा मिथिला के सम्मान का प्रतीक पाग को दीक्षांत समारोह में अंग वस्त्रम के तौर पर स्थान दिया गया।
5. मखाना का जी०आई० टैगिंग “मिथिला मखान’ के नाम पर – पान मांछ और मखान सदियों से मिथिला का पहचान रहा है। लेकिन जब मखाना के जी आई टैगिंग की बात आई तो सरकार ने मिथिला के इस पहचान को समाप्त करने का कुत्सित प्रयास किया एवं मिथिला मखान को बिहार मखाना के नाम से टैगिंग का प्रस्ताव पारित किया। मिथिला स्टूडेंट यूनियन में संपूर्ण मिथिलावासी को एकत्रित कर इसका जबरदस्त विरोध किया फलस्वरूप मिथिला मखाना का जीआई टैगिंग बिहार मखाना के बदले मिथिला मखान के नाम पर हुआ ।
6.दरभंगा के ऐतिहासिक राजकिला पर दशकों बाद ध्वजारोहण – दरभंगा का ऐतिहासिक राजकिला जिसकी भव्यता किसी भी स्तर पर दिल्ली के लालकिले से कम नहीं है लेकिन सरकार, शासन प्रशासन की बेरुखी और उचित संरक्षण की वजह से अपने बदहाली पर रो रहा है। एक समय उक्त राजकिला पर झंडोत्तोलन होता था लेकिन दशकों से ये परम्परा बंद हो गई। एमएसयू के चेतना संपन्न सेनानियों ने उक्त किला पर पहली बार झंडोत्तोलन किया और उसके बाद राज परिवार एवं जिला प्रशासन का उक्त धरोहर के संरक्षण के प्रति ध्यनाकृष्ट हुआ।
7. मिथिला के मूलभूत समस्याओं-आवश्यकताओं पर वर्षों से चरणबद्ध आंदोलन :- स्थापना काल से ही मिथिला के मूल समस्याओं एवं आवश्यकताओं पर मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने लगातार संघर्ष किया। चीनी मिल आंदोलन, पेपर मिल आंदोलन, तमाम बंद पड़े उद्योग धंधों को चालू करवाने हेतु लगातार आंदोलन कर, मिथिला विकास बोर्ड आंदोलन के साथ मिथिला के चहुँमुखी विकास हेतु विभिन्न स्वरूपों लगातार आंदोलन किया गया और ये आज भी जारी है। इन गतिविधियों ने सत्ता और शासन के नजर में यह बात डाला कि मिथिला क्षेत्र में रोजगार, उद्योग, बाढ़ सुखाड़ का स्थाई समाधान, उचित चिकित्सीय सेवाएं, बेहतर कृषि सेवांए, शैक्षणिक सेवाएं, यातायात इत्यादि जैसे मूलभूत आवश्यकताओं पर मजबूती से बात करने, सवाल करने, प्रतिकार करने, आंदोलन करने वालों का एक मजबूत संगठन मिथिला क्षेत्र में तैयार है। गांव-गांव में इन्हीं विषयों के प्रति लोगों को जागरूक कर संगठन विस्तार किया गया एवं वैचारिक तौर पर लोगों को अपने क्षेत्र की समस्याओं के प्रति जागरूक किया गया। जिसका असर है कि आज लोग क्षेत्र के मूलभूत समस्याओं पर मुखरता से बात कर रहे हैं एवं अपने प्रतिनिधियों से सवाल कर रहे हैं।
8. समसामयिक मूद्दों पर एकमात्र विकल्प — एमएसयू :- संगठन के स्थापना काल से ही दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा जिला के विभिन्न प्रखंड में लगातार समसामयिक घटना जिसपर एक जिम्मेदार और क्रांतिकारी संगठन के तौर पर आवाज उठाना अपेक्षित होता है उसे उजागर करते हुए उसके निष्पादन हेतु अनगिनत आंदोलन किया गया।
नैंसी हत्याकांड, मनोज चौधरी हत्याकांड, सोनी देवी हत्याकांड, केवटी थाना पुलिस दमन के विरुद्ध आंदोलन, सीएचसी घनश्यामपुर प्रसव पीड़िता की एम्बुलेंस के अभाव में हुई मृत्यु के विरुद्ध आंदोलन, डोमा पासवान भुख से मृत्यु पर आंदोलन आदि इसके उदाहण हैं।
9. गाँव-गाँव मिथिला, मैथिली, मिथिलावाद की भावना एवं मैथिल अस्मिता का स्थापना :- मिथिला मैथिली एवं मैथिल के धूमिल हो रही अस्मिता को मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने एक नया तेवर एवं कलेवर दिया। आज गांव गांव में बूढ़े, बच्चे, नौजवान मिथिला, मैथिली, एवं मैथिल के मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं, संवाद कर रहे हैं एवं आंदोलित हो रहे है। आज यदि दिल्ली मुंबई कोलकाता से भी कोई फोन करने के साथ पहला शब्द ‘जय मिथिला’ बोलता है तो इस परंपरा को जीवंत करने का श्रेय भी मिथिला स्टूडेंट यूनियन को ही जाता है।
10. निरन्तर प्रतियोगी, रचनात्मक एवं सांस्कृतिक गतिविधियाँ का आयोजन :- मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने छात्रों एवं क्षेत्र के हित में अनेकानेक प्रतियोगी, रचनात्मक एवं सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित किया। विभिन्न स्तरों पर प्रतिभा खोज प्रतियोगिता कार्यक्रम, करियर काउंसिलिंग कैम्प, खेलकूद कार्यक्रम आयोजित कर बच्चों के समुचित विकास हेतु कार्य किया गया। साथ ही अपने भाषा, संस्कृति, पहचान, धरोहर एवं क्षेत्र महापुरुषों के अस्मिता के रक्षार्थ एवं अधिकाधिक लोगों का इन विषयों से सरोकार स्थापित करने हेतु विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम, गोष्ठी, महोत्सव, सांस्कृतिक गतिविधि आयोजित कर क्षेत्र के लोगों के बीच इन विषयों को प्रासंगिक बनाया गया।